इटली के वेनिस शहर में करीब 6 फीट (1.87 मीटर) तक पानी भर जाने के बाद सरकार ने आपात स्थिति की घोषमा कर दी है.
समंदर का पानी शहर में घुस जाने से बैसिलिका समेत शहर की कई जानी मानी जगहें पानी से घिर गई हैं.
स्थिति
का जायज़ा लेने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई
जिसके बाद सरकार ने आपात स्थिति की घोषणा का फ़ैसला किया.
बाढ़ के कारण शहर में बिजली की सप्लाई काट दी गई है.
इटली के प्रधानमंत्री जूज़ेपे कॉन्टे ने बाढ़ को "दिल पर बड़ी चोट" बताया है और कहा है कि आपात स्थति की घोषणा के बाद अब लोगों को मदद
पहुंचाने और ज़
प्रधानमंत्री ने बताया है कि आपातकाल की घोषणा होने
प्रशासन के अनुसार बुधवार को शहर निवासियों को समंदर में उंची लहरों के आने के बारे में चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसकी उम्मीद नहीं की गई थी ये 130 सेंटीमीटर से ऊंची होंगी.
शहर
के मेयर लुईगी ब्रुगनारो का कहना है कि 50 से अधिक सालों में पहली बार शहर के सामने इतना बड़ा संकट आया है और इसका गहरा असर होगा.
ब्रुगनारो का कहना है कि सेंट मार्क बैसिलिका को "गंभीर क्षति" पहुंची
है. उनका कहना है कि बौसिलिका के ढांचे को बाढ़ के पानी के कारण नुक़सान
पहुंचा है और इस नुक़सान की भरपाई करने में लाखों यूरो खर्च होंगे.
बुधवार को बैसिलिका के भीतर ठहरे पानी को निकालने के लिए मोटरपंप का इस्तेमाल किया गया है.
पर बाढ़ से हुई
क्षति के मुआवज़े के तौर पर प्रत्येक व्यक्ति पांच हज़ार यूरो और व्यवसाय
बीस हज़ार यूरो तक का दावा कर सकते हैं.
इस शहर का 80 फीसदी हिस्सा यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है और इस कारण लाखों सैलानी यहां घूमने आते हैं.
शहर प्रशासन ने कहा है कि गुरुवार को बाढ़ के कारण क
पानी का स्तर बढ़ने के साथ साथ शहर में आए सैलानी वापस लौटना शुरू हो गए हैं. इस कारण शहर के छोटे व्यवसायियों का काम काज ठप हो गया है.
एक दुकानदार ने मेयर को बताया कि उनका काम सैलानियों पर ही निर्भर था और बाढ़ के कारण उनकी दुकान तबाह हो गई है.
वेनिस
शहर इटली के उत्तर पूर्व में एक लगून के बीच क़रीब छोटे-बड़े द्वीपों से बना है. हर साल इस शहर को बाढ़ की समस्या से जूझना पड़ता है.
ई संग्रहालय भी बंद रखे जाएंगे.
रूरी पैसा और संसाधन जुटाने में सरकार तेज़ी से काम करेगी.
बुधवार को शहर का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री कॉन्टे ने अपने फ़ेसबुक पन्ने पर लिखा, "शहर में जो तबाही हुई है उसे इस तरह देखना दर्दनाक है,
शहर की विरासत पर असर पड़ा है और वहां सभी व्यवसायिक गतिविधियां थम गई
हैं."
कॉन्टे ने कहा कि उनकी सरकार बाढ़ के ख़तरे से शहर को बचाने के लए काम
कर रही है. उन्होंने बताया कि आने वाले वक़्त में शहर में जो भी मुश्किल
हालात पैदा हो सकते हैं उसके लिए भी सरकार कमर कस चुकी है.
उनका इशारा मोस प्रोजेक्ट की ओर था जिसके तहत जिस लगून के बीच शहर बसा है उसको समंदर से अलग करने के लिए गेट लगाए जाने हैं.
योजना
के अनुसार समंदर में ऊंची लहरें आने पर इन गेट्स को बंद कर दिया जाएगा
ताकि समंदर का पानी भीतर लगून में न भरे और बाढ़ की स्थिति न बने.
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